राजस्थान पत्रिका का बहिष्कार , Boycott Rajasthan Patrika !

राजस्थान पत्रिका का बहिष्कार , Boycott Rajasthan Patrika !

Started
2 May 2020
Petition to
Signatures: 1,496Next Goal: 1,500
Support now

Why this petition matters

Started by Janta Ki Thadi

कोई तो कमी रही होगी, राजस्थान पत्रिका तेरे किरदार में।
समझा जाता है चौथा स्तम्भ, भारत के संविधान में।
यू ही कोई प्रति नही जलाता, पंथनिरपेक्ष हिंदुस्तान में। कोई तो...!

पूरी Controversy के लिये यह Video देखे । गुलाब चंद कोठारी और ज़हर, लम्बी दास्ताँ !
 

ऐसे नही है की  गुलाब कोठारी और उनके अख़बार ने पहली बार कुछ ऐसा लिखा-कहा-छापा हो। वे इसके पहले भी जातिगत आरक्षण का विरोध, इस तरह बार-बार करते हैं, जैसे कि कोठारी और उनका अख़बार कोई आरक्षण विरोधी एक्टिविस्ट हो – जिसका एजेंडा ये ही हो कि शोषित-वंचित समाज को आरक्षण मिलना बंद हो जाए। अतीत में चलते हैं –


सितंबर, 2015 में महीने के आख़िरी दिन के अपने संपादकीय ‘आरक्षण से अब आज़ाद हो देश’ शीर्षक में भी उन्होंने न केवल आरक्षण के ख़िलाफ़ लेख लिखा था, बल्कि वर्णाश्रम और मनुवादी सामाजिक व्यवस्था की वकालत भी की थी।
 

जनवरी, 2018 में उन्होंने ‘हिंदू एकीकरण’ शीर्षक से संपादकीय लिखा, जिसमें एक बार फिर हिंदू समाज और उसके अंदर की फूट के लिए जाति व्यवस्था की जगह आरक्षण को दोषी ठहराया। इस लेख में उन्होंने मोहन भागवत की आरक्षण ख़त्म करने वाली सलाह का समर्थन भी कर डाला था। ये अलग बात है कि भागवत, अपने बयान से बाद में पीछे हट गए थे।
 

अक्टूबर, 2018 में पत्रिका समूह ने आरक्षण पर बाक़ायदा एक सर्वे करा के छापा, जिसके मुताबिक – आरक्षण से सामाजिक वैमनस्य बढ़ा है। ज़ाहिर है इस पर भी गुलाब कोठारी की प्रतिक्रिया वही थी, जो लगातार आरक्षण को लेकर रही है।
 

25 मई, 2019 को नरेंद्र मोदी के दोबारा पीएम बनने पर, गुलाब कोठारी को संपादकीय के तौर पर लिखा गया खुला पत्र, पढ़ने लायक है कि उसमें किस तरह से पौराणिक युग के लौट आने जैसी खुशी और कामना ज़ाहिर की गई थी।

ये अज्ञानता या भूलवश लिखा गया संपादकीय नहीं है !
 

Please sign this petition so that we can stop spreading this kind of hatred from people like Gulab Chand Kothari

 

Support now
Signatures: 1,496Next Goal: 1,500
Support now