झॉंसी रेलवे स्टेशन : धरोहर से खिलवाड़

झॉंसी रेलवे स्टेशन : धरोहर से खिलवाड़

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शुरू कर दिया
को पेटीशन
Yogi Adityanath

यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

द्वारा शुरू किया गया Vishnu Dwivedi

बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
आठ साल की उम्र से इस गाने को अपने भीतर जज्ब कर लिया था । 2005 में जब पहली बार झांसी पहुंचे तो बहुत उत्साहित हुआ कि अरे ये तो वही झांसी है रानी लक्ष्मीबाई वाला । इतने सालों में कभी इस बात को महसूस ही नहीं किया कि झांसी और रानी लक्ष्मीबाई में कोई दूरी हो । झांसी रेलवे स्टेशन झांसी के इतिहास का हिस्सा रहा है ‌।

 जब कोई झांसी का निवासी अपना परिचय शहर से बाहर देता है तो लोग चट से कह देते हैं रानी लक्ष्मीबाई वाला झांसी , वही न ।
[ऐसा कहने वाले नहीं जानते कि ये शहर किस राज्य में है।

झॉंसी का नाम रेलवे के मानचित्र से मिट गया । रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई कर दिया गया है। यह कितना हास्यास्पद और विडंबनापूर्ण है कि जिस झॉंसी से रानी ने इतना प्यार किया। आपने उसकी पहचान से खेलना शुरु कर दिया है । 

यह रानी का सम्मान नहीं बल्कि उनकी झॉंसी से जुड़ी भावनाओं पर ठेस है । रानी और झॉंसी में कभी दूरी महसूस नहीं हुई पर, अब लगता है जैसे आपने रानी से झॉंसी छीन लिया हो । 

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