महिलाओं से जुड़े फ़ैसलों में महिलाओं को भी शामिल करो सरकार!

महिलाओं से जुड़े फ़ैसलों में महिलाओं को भी शामिल करो सरकार!

7,452 लोगों ने साइन किए। 7,500 हस्ताक्षर जुटाएं!
शुरू कर दिया
को पेटीशन
Venkaiah Naidu और

यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

द्वारा शुरू किया गया pranaadhika rinki

देश में महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाने का ऐतिहासिक फ़ैसला, 30 पुरुष सांसदों और केवल 1 महिला सांसद के ऊपर छोड़ा जा रहा है! वे सभी एक संसदीय समिति का हिस्सा हैं।

क्या इससे ज़्यादा अनुचित कुछ हो सकता है? इस तरह की एक महत्वपूर्ण संस्था में जो करोड़ों लड़कियों और महिलाओं का भविष्य तय करेगी, ऐसे प्रतिनिधियों की ज़रूरत है जो सुनिश्चित कर पाएँ कि देश की महिलाओं व लड़कियों की आवाज़ सुनी जा रही है। हमारी पेटीशन पर साइन करें, राज्यसभा के अध्यक्ष को पैनल का पुनर्गठन करने के लिए कहें ताकि पैनल में 16 या अधिक महिला सांसद शामिल हों

अगर संसद के नियमों के अनुसार पैनल का पुनर्गठन नहीं किया जा सकता है, तो अध्यक्ष द्वारा इस विधेयक के अध्ययन के लिए एक विशेष पैनल का गठन किया जा सकता है जिसमें अधिक महिला सांसद शामिल हों। इस अध्ययन को किसी अन्य मौजूदा पैनल को भी भेजा जा सकता है जिसमें केवल महिला सांसद हों। इस समिति को महिला सशक्तिकरण समिति कहा जाता है। यह आम तौर पर विधेयकों का अध्ययन नहीं करते, लेकिन इस अवसर पर समिति द्वारा ऐसा किया जा सकता है। (इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हम माध्यम संस्था से मानसी वर्मा जी का धन्यवाद करते हैं)

एक विविध पैनल सुनिश्चित करेगा कि समाज की रूढ़िवादी व पितृसत्तात्मक मूल्यों द्वारा शासित होने के बजाय महिलाओं को अपने मुद्दों पर बोलने का मौक़ा मिल रहा है, और उनसे जुड़े फ़ैसलों में उनकी राय ली जा रही है।

"बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक" महिलाओं की कानूनी शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रयास करता है। इसे केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिसंबर में पेश किया था और शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल पर संसदीय स्थायी समिति नामक 31 सदस्यीय समिति को जांच के लिए भेजा गया था। इस 31 सदस्यीय समिति में केवल एक महिला सांसद है, सुष्मिता देव

यह विधेयक पहले से ही विवादास्पद है क्यूँकि इसका नकारात्मक प्रभाव कई समुदायों पर पड़ सकता है और अब इस फ़ैसले को लेने वाले पैनल में सिर्फ़ एक महिला का होना, पैनल में और अधिक विविधता और प्रतिनिधित्व की ज़रूरत को दर्शाता है। 

दो महिला सांसदों ने पहले ही राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की है। 

फ़िलहाल संसद में 103 महिला सांसद हैं (कुल सांसदों का सिर्फ 14.3%)। इनमें से 78 लोकसभा में और 25 राज्यसभा में हैं।। निश्चित रूप से सभी पार्टियाँ अधिक महिला सांसदों को नॉमिनेट कर सकते हैं और राज्यसभा का अध्यक्ष पैनल का पुनर्गठन भी कर सकते है।

हमारी पेटीशन साइन करें और राज्यसभा के सभापति से निवेदन करें कि वे इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई करें। जब हजारों देश के नागरिक हमारी पेटीशन साइन करेंगे, तो हमें विश्वास है कि हमारी एकजुट आवाज़ सुनी जाएगी और हम मिलकर एक ऐसा बदलाव ला पाएँगे जो देश की आधी आबादी के जीवन को प्रभावित करेगा।

7,452 लोगों ने साइन किए। 7,500 हस्ताक्षर जुटाएं!