i want justice for the unemployed students who has qualifed NET/JRF/SET exam
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UGC!,गरीब छात्रों का शोषण हो रहा है।
असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में UGC द्वारा दिए गए API के अनुसार P.hd धारक जिसने पीएचडी कहीं से भी की हो या खरीदी हो उसे 30 अंक जबकि NET/SET/JRF धारक जिसे मेहनत से क्वालीफाई किया जाता है उसे केवल 5/7 अंक दिए जाते है।
यह लेख उन बेरोजगर छात्रों के लिए है जिनका NET/SET/JRF क्वालीफाई हो गया है
M.Sc करने के बाद यदि कोई विद्यार्थी अपने विषय को लेकर गंभीर होता है तो वह एक बार CSIR/UGC NET की परीक्षा जरूर देता है।इस परीक्षा को पास करने में अधिकतर विद्यार्थियों को १ वर्ष से ज्यादा लग जाता है।यदि इस परीक्षा में जेआरएफ पास हो जाता है तो पीएचडी के लिए विद्यार्थी इतनी सारी यूनिवर्सिटी या नेशनल इंस्टीट्यूट में आवेदन करता है जिसमें उसे प्रत्येक के आवेदन के लिए फ़ीस देनी पड़ती है।जबकि सरकार चाहे तो एक कॉमन पोर्टल बनवा सकती है जिस से वह उसमे केवल एक बार फ़ीस देके प्रत्येक इंस्टीट्यूट में आवेदन कर सके।आवेदन करने के बाद इंस्टीट्यूट या कॉलेज JRF SCORE/GATE SCORE के आधार पर स्क्रीनिंग( इंटरव्यू के लिए चुनना)करते हैं उसके बाद इंस्टीट्यूट या कॉलेज केवल 15-30 मिनट के इंटरव्यू के आधार पर विद्यार्थी को चुन लेता है। बस 15-30 मिनट के इंटरव्यू के आधार पर विद्यार्थी को पीएचडी में एडमिशन देना है या नहीं देना है यह निश्चित कर लिया जाता है और विद्यार्थी के ज्ञान का आकलन कर लिया जाता है।पीएचडी में प्रवेश लेने वाले अधिकतर विद्यार्थी बस असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी की आस में पीएचडी कर रहें हैं। उनकी रूचि पीएचडी के विषय में नहीं फिर भी पीएचडी कर रहे है कि कभी नौकरी मिलेगी जिसका भरोसा भी नहीं है। P.hd कर रहे छात्र पेपर प्रकाशित कर रहे है जिसमें उन्हें क्वॉलिटी से कोई मतलब नहीं बस ज्यादा से जायदा पेपर प्रकाशित हो जिस से उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में अंक मिल सके।देश मै रिसर्च का स्तर बहुत ही ज्यादा खराब हो गया है। अधिकतर छात्र बस फेलोशिप के लिए पीएचडी कर रहे यद्यपि उनकी रूचि अपने पीएचडी के विषय को लेके नहीं है।यदि रूचि ही नहीं होगी तो विद्यार्थी अपने पीएचडी विषय में अच्छा कैसे कर पाएगा!यह तो छात्रों का शोषण ही है।
अब देखते है कि केवल नेट/सेट पास विद्यार्थियों के क्या हालत है। यदि कोई नेट धारक विद्यार्थी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है तो वह पीएचडी नहीं कर पाएगा क्योंकि उसे फैलोशिप नहीं मिलेगी और वह नौकरी के लिए असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के लिए आवेदन करेगा और वह देखेगा की असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए कोई परीक्षा ही नहीं है लेकिन यूजीसी का एक API(Acedemic Performance Index) है जिसमें पीएचडी धारक जिसने पीएचडी कहीं से भी की हो या खरीदी हो उसे 30 अंक मिलेंगे लेकिन जिसने नेट की परीक्षा जिसे इतनी मेहनत से पास किया जाता है उसे मात्र 5 अंक दिए जाते है।इस प्रकार एक बिना पीएचडी वाला नेट धारक विद्यार्थी अपनी आर्थिक समस्या के कारण एक फर्जी पीएचडी धारक से 25 अंक पीछे रहता है।यह कहा का न्याय है UGC?
यदि UGC को लगता है कि नेट धारकों को कुछ नहीं आता तो असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में परीक्षा कराए।हम तैयार हैं लेकिन बस 5 अंक देके हमारा अपमान ना करे। किसी भी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का फॉर्म 1000-2000₹ से कम नहीं होता है जो कि सिर्फ इंटरव्यू के लिए।