No Option of Common Civil Code

No Option of Common Civil Code

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शुरू कर दिया
को पेटीशन
Prime Minister of India

यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

द्वारा शुरू किया गया Maheboob Makrani

  नमस्कार
 मुस्लिम बहेनों के हित में कोमन सिविल कोड की मांग करती मेरी एक पोस्ट| कृपिया ध्यान दें|
  
तीन तलाक बिल की 5 प्रमुख बातें


1. तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को पूरी तरह से गैर-कानूनी बना दिया


2. शिकायत पर पुलिस बिना वारंट के ही आरोपी पति को गिरफ्तार कर सकती है


3. तीन तलाक केस अगर अदालत में साबित हो गया तो पति को 3 साल की जेल मिलेगी


4. मजिस्ट्रेट अब महिला का पक्ष सुने बिना उसके पति को जमानत नहीं दे सकेंगे


5. पीड़ित महिला पति गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है 
(साभार, आजतक)
तो यह था तीन तलाक बिल| इस से बस इतना हुवा कि मुस्लिम पति एक साथ तीन तलाक कह कर पत्नि को छोड नहीं सकता, लेकिन अगर यही काम कोइ दो - चार महिने का फासला रख कर करे तो? सवाल यह है कि शादी के बंधन में जूडने का फेंसला दोनों का साज़ा है तो फिर जूदा होने का अधिकार एक पक्षीय क्यों? संविधान से प्राप्त समानता के मौलिक अधिकार का क्या? किसी व्यक्ति का यह अधिकार महेज़ इसलिये छीन लिया जायेगा कि वोह किसी खास धार्मिक समुदाय से है? एक सेक्युलर स्टेट के लिये महत्वपूर्ण नागरिक स्टेटस है या फिर मज़हबी पहेचान? कोइ मुस्लिम महिला तलाक के मुद्दे पर न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाती है तो साफ है कि वोह संवैधानिक न्याय चाहती है, न कि शरियत का| कुल मिला कर बात यह है कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करते हुवे कोमन सिविल कोड लागु होना चाहिये| 

 आज कुछ मुस्लिम महिलाएं वर्किंग वुमन यानी सेल्फ डिपेंडन्ट होने के बावजूद ससुराल की ज्यादतीयां बरदाश्त करने को विवश है, क्यों? इसलिये कि तलाक का एक पक्षीय अधिकार एवं बहुपत्नित्व - यह दो तलवारे उनके सरों पर हर दम लटकती रहेती है| इन के हितों की सुरक्षा के लिये कोमन सिविल कोड के अलावा कोइ उपाय नही, इसे जल्द से जल्द लागु कीया जाय|

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