अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ बंद हो
अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ बंद हो

हाल ही के कुछ दिनों में मानव संसाधन मंत्रालय के शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा उच्च शिक्षा के लिए परीक्षा कार्यक्रम की घोषणा की गयी. उसके बाद अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की ही परीक्षा लेने की घोषणा की गयी. हम किसी परीक्षा के खिलाफ नहीं हैं. जरूरत है समय की आवश्यकता को देखा जाये . ऐसी काफी सारी बाते हैं जिनका जवाब हमें चाहिए.
सबसे पहली बात, क्या इस माहमारी के बीच परीक्षा लेना, विद्यार्थियों की जिंदगियो के साथ खिलवाड़ नहीं है? क्या सरकार को वाकई देश के जनता के स्वास्थ्य की परवाह हैं? क्या होगा यदि किसी एक भी विद्यार्थी के कोरोना हो गया? क्या ये उसके घरवालों को नहीं होगा? क्या उसकी और उसके घरवालो और साथ में आस पास के परिवारों की जिंदगी संकट में नहीं आ जाएगी? लाखों परीक्षार्थी गाँवों में हैं, उनका सामान हॉस्टल में हैं, उनका क्या? क्या यहाँ सोशल डिसटेंसिंग की पालना करवाई जा सकती है? हजारों विद्यार्थी वो हैं जो मनोवैज्ञानिक तौर पर इस महामारी में परीक्षा देने के लिए तैयार नहीं हैं, इस महामारी ने उनके जीवन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला है .यदि किसी विद्यार्थी के कोरोना वायरस हो रहा है, तो क्या वो परीक्षा देने की स्थिति में होगा? एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 50% मौतें, 60 साल से कम उम्र वाली की हुई हैं. Statista के एक सर्वे के अनुसार करीब 35% मामले सिर्फ 30 साल से कम उम्र वालों के हैं और इस उम्र सीमा में ज्यादातर विद्यार्थी ही है जो किसी न किसी रूप से शिक्षा से जुड़े हुए हैं. क्या उन लोगो के भविष्य के साथ ये खिलवाड़ नहीं होगा जो कोरोना से पीड़ित है? वो जो ज़िन्दगी मौत की लड़ाई लड़ रहें हैं, क्या वो परीक्षा देने आयेंगे? उनका हक कहाँ हैं? हाल ही में यह सामने आया है कि केवल अंतिम वर्ष की परीक्षएं ली जाएगी. क्या अंतिम वर्ष के परीक्षार्थियों के पास कोरोना की इम्युनिटी मौजूद है? क्या उनके जीवन को खतरे में डालना इतना जरूरी है कि ऐसी स्थति में जब मामले तेज़ी से बढ़ रहें हैं, परीक्षाएं ली जा रही हैं? हमने पूरी साल मेहनत की हैं लेकिन उसकी कीमत हमारी और प्रियजनों की जान नहीं है. हमारी मांग निम्न है -
सभी विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाये - बिना किसी भेदभाव के. चाहे वो फाइनल ईयर का ही क्यूँ न हो. जो विद्यार्थी इस प्रकिया से संतुष्ट न हो उनकी परीक्षा स्थिति सामान्य होने के बाद ली जाये. ये परीक्षाएं किसी का जीवन नहीं बना सकती, जीविका के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं होती है. समय है सभी विद्यार्थियों और उनके परिवारजनों की जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करना, न की उन्हें इस खतरे में झोकना. अकादमिक परीक्षाओं की महत्ता जीवन से ज्यादा नहीं हैं.
कृपया विद्यार्थियों के हित में निर्णय लिया जाये और उन्हें इस खतरे से बचाया जाये. सभी स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाये - अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को.