Terms & Conditions की लिखावट का न्यूनतम साईज तय करने के लिए अभियान ...

Terms & Conditions की लिखावट का न्यूनतम साईज तय करने के लिए अभियान ...
यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

प्रिय साथियों,
हम लोग अपनी सामान्य दिनचर्या में अनेक बार ऐसा संव्यवहार करते हैं या दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं, जिनके लिए हमारे को दूसरे पक्ष द्वारा निर्धारित terms & conditions को स्वीकार करना पडता है। उदाहरण के लिए- बैंक, कमोडिटी और स्टाॅक मार्केट में account opening, लोन आवेदन और बीमा प्रस्ताव के दौरान, परीक्षाओं के आवेदन में, दवाई और अन्य जनोपयोगी सेवा उपभोग के दौरान ....
परन्तु दुर्भाग्य से यह terms & conditions इतना छोटे साईज के फोंट में लिखी होती है जिसे सामान्य व्यक्ति द्वारा बिना लैंस के पढ़ना संभव नहीं हो पाता और मजबूरी में बिना पढ़े ही अपने हस्ताक्षर करने पडते हैं। जिससे दूसरा पक्ष सहजता से अपनी मनमानी शर्त थोपने में सफल हो जाता है और भविष्य में विवाद होने पर परिस्थितियां सदैव हमारे विपरीत होने से हमारे को निराश होना पडता है।
इसी वजह से हमारी न्यायिक प्रणाली में अधिकतर पीड़ित को राहत नहीं मिल पाती, क्योंकि दस्तावेज और परिस्थितियां हमारे मानवाधिकार का हनन करने वालों के पक्ष में बन जाती है। दवाईयों के साथ मिलने वाले विवरण के पर्चे को तो चश्मे के साथ भी पढ़ना संभव नहीं हो पाता और परिणामस्वरूप दवाई की उपयोगिता और साइड इफेक्ट जाने बिना ही हमारे को इस्तेमाल करना पडता है।
अतः क्यों नहीं भारत सरकार यह निर्धारित कर दे कि कोई भी प्रिन्ट सामग्री पढने के लिए आवश्यक 12 फोंट साईज से छोटे अक्षर में नहीं लिखी जायेगी।