Fight for justice

Fight for justice
हम किसी नायक नायिका की तरह चर्चित भी नहीं है ना ही हम इतने पढे लिखे है की कन्हैया कुमार की तरह आजादी मांग सके या फिर हार्दिक पटेल की तरह आरक्षण के लिये धरने पर बैठ जाये तो फिर हमें कौन सुनेगा किसको सुनाए ? वर्दी पहनते ही कुछ अधिकार हमारे स्वयं ही समाप्त हो जाते है राष्ट्र की सुरक्षा के लिए हम उसे भी स्वीकर कर लेते है । लेकिन हमें हमारे बचे हुए अधिकार तो ठिक से मिलने चाहिये जी हाँ मै इस देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीमा सुरक्षा बल की बात कर रहा हु आज जब सरकारे अपने अर्धसरकारी, सरकारी एवं निगमित कार्यालयों को भ्रष्टाचार मुक्त रखने एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये सूचना अधिकार अधिनियम 2005 को अधिकतम बढ़ावा दे रही है । वही सुरक्षा एवं गोपनियता के नाम पर सीमा सुरक्षा जैसे बड़े बलो में किसी भी RTI का जवाब न देना एक गम्भीर प्रश्न है जबकी सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 2(f) एवं 6 (1) इन बलो पर भी लागु होती है । आज सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारी सुरक्षा एवं गोपनियता के नाम पर बिना किसी कारण अपने अधीनस्थ एवं कार्मिक को जबरदस्ती परेसान करते रहते है जिसका परिणाम कई बार मीडिया के सामने आ भी जाता है परन्तु कई बार कार्मिक को आत्महत्या तक करना पड़ जाता है । यहा तक की कार्मिक के वेतन भुगतान, दिये गये सजा एवं जांच प्रक्रिया तक भी कार्मिक को बताना जरुरी नही समझा जाता । इसलिये वेतन भुगतान, दी गई सजा एवं उसके सम्बंध में की गई जांच इत्यादि को RTI के दायरे में कड़ाई पूर्वक लाया जाना चाहिये साथ ही वेतन भुगतान रोकने की नियमावली भी उप्लब्ध की जानी चाहिये