#HaathiMereSaathi : ‘शंकर’ को दशकों की कैद से रिहा किया जाए
#HaathiMereSaathi : ‘शंकर’ को दशकों की कैद से रिहा किया जाए

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‘शंकर’ कौन है?
ये साल 1998 था जब ज़िंबाब्वे ने भारत को 26 महीने का एक अफ्रीकन हाथी गिफ्ट के रूप में भेंट किया। उसका नाम भारत के 9वें राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा जी के नाम पर ‘शंकर’ रखा गया। शंकर आज लगभग 26 साल का होगा और उसने अपनी पूरी ज़िंदगी दिल्ली के ज़ू (नेशलन ज़ूलॉजिकल पार्क) में बिता दी है। 2001 में ‘शंकर’ के साथी ‘बोंबई’ की मौत हो गई, जिसके बाद उसने पूरा जीवन अकेले ही काट दिया।
‘शंकर’ की मानसिक और शारीरिक स्थिति
‘शंकर’ को 17 घंटे चेन से बांधे रखा जाता है और उसे चलने-फिरने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं मिलती। इंसानों की ही तरह हाथी भी सामाजिक प्राणी होते हैं और अकेले बंद रखे जाने पर मानिसक यातना का सामना करते हैं। ‘शंकर’ में ये लक्षण साफ़ दिखते हैं, जैसे कि बार-बार सिर हिलाना, इत्यादि जो कि निशानी है कि वो कितनी तकलीफ़ में हैं (ये वीडियो देखेंं)।
‘शंकर’ के आक्रामक व्यवहार के चलते ज़ू प्रशासन ने सुरक्षा के लिए उसके और आम लोगों में दूरी बना दी है। दिल्ली ज़ू ने हाल ही में कंफर्म किया कि ‘शंकर’ को नया साथी देने या उसकी जगह बदलने का उनका कोई इरादा नहीं है। ये हमारे लिए और हर उस इंसान के लिए दिल तोड़ने वाली खबर है जो ‘शंकर’ की तकलीफ़ और दर्द को महसूस कर सकते हैं। अगर ‘शंकर’ को ऐसे ही अकेले बंद रखा गया तो उसका हाल भी ‘बोंबई’ जैसा ही होगा, जिसने ज़ू में ही अपना दम तोड़ दिया।
हमारी मांग
हम दिल्ली ज़ू प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि शंकर की तकलीफ़ व अकेलापन दूर करने के लिए उसे किसी वाइल्ड लाइफ़ रेफ्यूज (जानवरों का शरणस्थल) या अफ्रीका की किसी सैंक्चूरी में वापस भेज दिया जाए, जहाँ पर्याप्त अफ्रीकन हाथी हैं। इस विषय पर दिल्ली ज़ू प्रशासन को हमने एक विस्तृत पत्र भी लिखा है।
हम आशा करते हैं कि शंकर को उसकी पीड़ा से दूर करने और बंद जगह से आज़ादी दिलाने के लिए आप हमारे साथ आएंगे। प्लीज़ ‘शंकर’ के लिए ये पेटीशन साइन करें, दोस्तों से शेयर करें ताकि ‘शंकर’ ज़िंदगी के बचे हुए दिन आँखों में आँसू लेकर नहीं बल्कि अपने दोस्तों के साथ बिता सके।
#HaathiMereSaathi
धन्यवाद और आभार,
निकिता धवन और नंदिका करुणाकरम
(Youth For Animals की ओर से)