नहीं चाहिए हमें ऐसा विकास जिससे हो प्रकृति का विनाश ।

नहीं चाहिए हमें ऐसा विकास जिससे हो प्रकृति का विनाश ।
यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

क्या आप जानते हैं कि 2021 के बाद से शायद आपकी आय का 20℅ खर्च स्वच्छ सांस लेने योग्य वायु को बनाए रखने के लिए हो सकता है?
जी हाँ कुदरत की तरफ़ से हमें मुफ्त में पेड़ पौधे, पानी ,हवा मिली जिसका आदमी ने अन्तहीन दोहन एवं शोषण किया।
अब गुजरात से मुम्बई ( महाराष्ट्र) तक एक तेज़ गति वाली बुलेट ट्रेन के चलाने की योजना है, जिसके तहत लगभग 53467 मैनग्रूव पेड़ों का सफाया किया जाएगा, जो कि लगभग 25 हेक्टेयर में फैले है । इसके अतिरिक्त 137.1 हेक्टेयर के जंगल का भी सफाया हो जाएगा।
क्या वास्तव में बुलेट ट्रेन की आवश्यकता है❓मुम्बई से अहमदाबाद के बीच हवाई यात्रा ढाई हजार से तीन हजार रुपये के बीच आसानी से पहले ही उपलब्ध है । जबकि बुलेट ट्रेन का किराया करीब दस हजार रुपये होने की बात कही जा रही है ।
जरा सोचिए, वन में रहने वाले दुर्लभ जीवन जन्तु मारे जाएंगे और पर्यावरण असन्तुलन हो कर नरक के बराबर हो जाएगा।
चूंकि पेड़ CO2 लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं तो ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी और वातावरण में नमी भी कम हो जाएगी। नमी कम हो जाने से विभिन्न फेफड़ों के रोग जन्मने लगेंगे।
विकास के नाम पर पियूष गोयल जी ( यूनियन मंत्री) ने ही बुलेट ट्रेन की घोषणा की है।
यदि 1737 सदी में चिपको आंदोलन नहीं होता तो आज जो राजस्थान में हरियाली दिख रही है ये भी नहीं होती ।
राष्ट्रीय वन नीति के अन्तर्गत सरकार द्वारा यह निर्णय दिया गया था कि प्रत्येक राज्य का कम से कम 33℅ क्षेत्रफल हराभरा जंगल युक्त होना चाहिए।
आइए आज एकजुट होकर अपने भविष्य को स्वस्थ एवं सुन्दर बनाएं इसके लिए यदि हमें न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाना पङे तो घबराएं नहीं।
आइए तो आज हम सब मिलकर सरकार से अपील करें कि विकास के नाम पर पेड़ों को काट कर प्रकृति की ओर बढ़ रहे इस हिंसात्मक कदम को रोक कर बुलेट ट्रेन योजना का बहिष्कार करें।
image source: afternoonvoice