भारतीय भाषा अभियान : संकल्प (जनता को न्याय जनता की भाषा में)

भारतीय भाषा अभियान : संकल्प (जनता को न्याय जनता की भाषा में)
यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

भारतीय भाषा अभियान
"संकल्प "
"माँ, मातृभूमि एवं मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं"
विश्व के लगभग सभी देशो में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाती है। हर देश की शिक्षा, शोध एवं शासन - प्रशासन वहाँ की मातृभाषा में ही होता है। लगभग सभी देशो में वहाँ की जनता को न्याय, जनता की भाषा में मिलता है।
महात्मा गाँधी, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, मदनमोहन मालवीय आदि महापुरुषों एवं शिक्षाविदों का भी यही विचार एवं सुझाव है। भाषा से सम्बंधित जितने भी अध्ययन हुए हैं, उन सबका यही निष्कर्ष है।
क्या भारत में शिक्षा, शासन - प्रशासन एवं न्याय का माध्यम हमारी अपनी मातृभाषा नहीं हो सकती?
ऐसा हो सकता है और होना भी चाहिए, लेकिन उसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। इसके लिए हम सभी को वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण को अपनाना होगा। इस संकल्प को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि
हम सब
अपने दैनिक व्यवहार में अपनी मातृभाषा का अधिक से अधिक प्रयोग करें तथा
1. अपने हस्ताक्षर, अपनी भाषा में करे।
2. अभिवादन ‘‘नमस्कार‘‘ से करे।
3. अपने देश के लिए ‘‘भारत‘‘ शब्द का ही प्रयोग करे।
4. बोलचाल में अपनी भाषा का ही प्रयोग करें (कम्प्यूटर, मोबाइल आदि पर भी).
5 पत्राचार एवं अभिवचन मातृभाषा में करे।
6. नाम पट्ट आदि अपनी भाषा में बनवायें।
7. सार्वजनिक व्याख्यान, उद्बोधन अपनी भाषा में दे।
8. अपनी भाषा में ही आलेख लिखे।
9. कम से कम एक पुस्तक/आलेख संकलन अपनी भाषा में लिखे।
मैं उपर्युक्त सकंल्प को आत्मार्पित करता / करती हूँ।