हम न्याय चाहते हैं।

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शुरू कर दिया
को पेटीशन
न्यायिक मांग

यह पेटीशन क्यों मायने रखती है

द्वारा शुरू किया गया Alok Agnihotri

दो बलात्कारों और दो हत्याओं के लिए उम्रकैद के सज़ायाफ़्ता अपराधी गुरमीत राम-रहीम को फ़रलो के दौरान हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा मुहैया की गयी ज़ेड प्लस सुरक्षा के विरोध में
भारत के सामान्य (लेकिन जागरूक, और लोकतन्त्र में अविचल भरोसा रखनेवाले) नागरिकों व जनसंगठनों का
*भर्त्सना-पत्र*

28 फ़रवरी को 21 दिन की फ़रलो की अवधि पूरी हो जाने के बाद गुरमीत राम-रहीम वापस हरियाणा की सुनारिया जेल लौट गया, जहाँ वह अपनी ही दो शिष्याओं पर बलात्कार के जुर्म में 20 साल की सज़ा काट रहा है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को इस मामले में अगस्त 2017 में सज़ा सुनायी गयी थी। बीते साल उसे रंजीत सिंह की हत्या के मामले में उम्रकैद हुई थी। 2019 में उसे 16 साल पहले एक पत्रकार की हत्या का भी दोषी पाया गया था।

दो बलात्कारों और दो हत्याओं के लिए सज़ायाफ़्ता अपराधी गुरमीत राम-रहीम को ठीक पंजाब विधानसभा चुनाव के मौके पर 21 दिन की फ़रलो पर जेल के बाहर लाने और इसका सियासी फ़ायदा लेने के राजनीतिक मायने एकदम साफ़ हैं, क्योंकि इस समय गुरमीत राम-रहीम का न तो कोई परिवारीजन अस्वस्थ चल रहा था, न ही कोई अन्य ऐसा बेहद ज़रूरी वैयक्तिक मामला था।

हरियाणा की भाजपा सरकार ने न केवल गुरमीत राम-रहीम को 21 दिन की फ़रलो दी, साथ ही ज़ेड प्लस (z+) सुरक्षा भी मुहैया करा दी। हरियाणा के मुख्यमन्त्री मनोहरलाल खट्टर ने सरकार के इस फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि सुरक्षा का आकलन करने के बाद ही राम-रहीम को ज़ेड प्लस सुरक्षा दी गयी है। उनके अनुसार ”किसी भी कैदी या बाहरी व्यक्ति को सुरक्षा मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है। गुरमीत राम-रहीम फ़रलो पर हैं, और कुछ सूचनाओं के आधार पर उन्हें ज़ेड प्लस सुरक्षा दी गयी है।” 

दिलचस्प यह है कि हरियाणा के गृहमन्त्री अनिल विज़ ने कहा कि उनके पास राम-रहीम को ज़ेड प्लस सुरक्षा मुहैया करवाने को लेकर कोई फ़ाइल नहीं आयी। इससे पहले हरियाणा पुलिस की ओर से राम-रहीम की जान को ख़तरा बताते हुए ज़ेड प्लस सुरक्षा दी गयी।

गुरमीत राम-रहीम को इस मौके पर दी गयी फ़रलो और ज़ेड प्लस सुरक्षा के ख़िलाफ़ पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने अपना पक्ष रखा - 'गुरमीत जघन्य अपराधी नहीं है, और उसने जेल में कोई गलती नहीं की। जिन दो हत्याओं में उसे दोषी माना गया है, उनमें वह खुद हमलावर नहीं है। उसने खुद हत्या को अन्जाम नहीं दिया है। उसे इन हत्याओं की साजिश का दोषी पाया गया है।'

देश में तो निश्चित तौर पर (और शायद समूची दुनियाभर में भी) यह अपनी तरह का अकेला मामला होगा, जहाँ दो-दो बलात्कारों और हत्याओं में उम्रकैद की सज़ा काट रहे अपराधी को हरियाणा की भाजपा सरकार हाईकोर्ट में अपने बयान के ज़रिए यह प्रमाणपत्र देती है कि वह जघन्य अपराधी नहीं है। और इसी आधार पर उसे ज़ेड प्लस सुरक्षा देना राज्य सरकार का कर्तव्य है !

हम भारत के सामान्य (लेकिन जागरूक, और लोकतन्त्र में अविचल भरोसा रखनेवाले) नागरिक और जनसंगठन, दुनिया के अपने इस महान लोकतन्त्र के लोकतान्त्रिक और न्यायिक मूल्यों का संरक्षण करनेवाली सर्वोच्च संस्थाओं से यह ज़रूर जानना चाहेंगे कि क्या दो-दो बलात्कारों और हत्याओं का दोषसिद्ध अपराध जघन्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता ? अपनी ही शिष्याओं से बलात्कार करनेवाला; साथ ही दो हत्याओं का भी गुनाहगार - ऐसा अपराधी क्या जघन्य अपराधी नहीं है ?
क्या ऐसा अपराधी ज़ेड प्लस सुरक्षा पाने का हक़दार है ?

कानून और व्यवस्था की बड़ी-बड़ी डींगें हाँकनेवाली भाजपा सरकारों की कथनी और करनी का फ़र्क गुरमीत राम-रहीम की इस फ़रलो, उसे दी गयी ज़ेड प्लस सुरक्षा, और हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा अपने इस कदम की बेशर्म वकालत से एकदम साफ़ हो जाता है!

हम भारत के सामान्य (लेकिन जागरूक, और लोकतन्त्र में अविचल भरोसा रखनेवाले) नागरिक और जनसंगठन इस लोकतन्त्रविरोधी, और कानून-व्यवस्था को इस शर्मनाक स्तर पर पहुँचा देने के कदम-कोशिश की भरपूर भर्त्सना करते हैं !!
भवदीय::
1.राम किशोर
सोशलिस्ट फाउंडेशन

2.कुलदीप सक्सेना
अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

3.वीरेन्द्र त्रिपाठी, एडवोकेट
संयोजक, पीपुल्स यूनिटी फोरम

4.ओ.पी.सिन्हा
जनरल सेक्रेटरी ,आल इंडिया वर्कर्स काउन्सिल

5.ओ.पी.माथुर
हिन्द मजदूर सभा

6.अजय शर्मा
सिटीजन्स फार डेमोक्रेसी

7.अनिल सिन्हा
वरिष्ठ पत्रकार

8. तौहीद, पीयूसीएल कानपूर

9. आलोक अग्निहोत्री एडवोकेट, पीपुल्स फोरम

 

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