आकांक्षी जिलों से ग्रह जिलों में स्थानांतरण

आकांक्षी जिलों से ग्रह जिलों में स्थानांतरण
Why this petition matters
आकांक्षी जिले जैसे श्रावस्ती, बलरामपुर, सोनभद्र, चंदौली, चित्रकूट, फतेहपुर व सिद्धार्थ नगर में पिछले 7 वर्षों से कार्यरत शिक्षकों ने माननीय मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन सौंपा है।
पिछले कई वर्षो से अपने घर से दूर यह शिक्षक कार्यरत है व उनके बच्चो की पढ़ाई व माता पिता की देखभाल पूरी तरह से प्रभावित हो रही है।
बताया जा रहा है की अब तक दो बार शिक्षकों के स्थानांतरण किए गए लेकिन आकांक्षी जिलों के एक भी शिक्षक का नाम सूची में नहीं आया।
उत्तर प्रदेश सरकार की पॉलिसी के अनुसार आकांक्षी जिलों से दो वर्षो तक स्थानांतरण नही किए जाने थे और उसके बाद आकांक्षी जिलों से भी विकल्प लेते हुए शिक्षकों को उनके मनचाहे जिले में स्थानांतरण प्रदान करने की बात पॉलिसी में की गई थी।
आरटीआई के जरिए जब नीति आयोग से आकांक्षी जनपदों से स्थानांतरण न करने के विषय में पूछा गया तो नीति आयोग ने स्पष्ट किया की नीति आयोग की तरफ से इस विषय में कोई रोक नहीं है।
बताते चले की 72,825 शिक्षक भर्ती के अधिकांश शिक्षक 40-45 वर्ष के है, इन्हे हर हफ्ते देखभाल के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर के आना पड़ता है।
उत्तर प्रदेश की सरकार से उम्मीद रखे हुए शिक्षकों ने माननीय मुख्यमंत्री जी को पत्र भेजा।
मैं भी इन खण्डों के आधार पर उनके स्थानान्तरण की माँग करता हूँ-
1. पदस्थापन के समय उन्हें यह नहीं बताया गया था कि उनके जिलों से कोई तबादला नहीं किया जाएगा। अब, क्या उनकी ओर से कोई गलती है जिसके लिए उन्हें दंडित किया जा रहा है जबकि अन्य जिलों के अन्य सभी शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है?
2. माता-पिता के साथ-साथ उनके रोते-बिलखते बच्चों से पितृत्व का आनंद छीनना अनैतिक है। जिनकी हमें सबसे ज्यादा जरूरत है वे हमारे साथ नहीं हैं। ऐसी लड़कियां हैं जो अपनी समस्याओं या जरूरतों को केवल अपनी मां के साथ साझा कर सकती हैं लेकिन वर्तमान समय के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी मां उनके साथ नहीं हैं।
3. ये शिक्षक वरिष्ठ होते जा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई पदोन्नति नहीं हुई है। यह कुछ नुकसान है जिसे उन्हें अपने पूरे जीवनकाल में सहन करना होगा।
4. सरकार बच्चों को अपने पिता या माता के साथ रहने के बीच चुनने का विकल्प कैसे दे सकती है, जबकि उन्हें दोनों की जरूरत है।
5. जब उनके परिवार और बच्चे उनसे किलोमीटर दूर हों तो सरकार किसी से लगन से काम करने की उम्मीद नहीं कर सकती। अगर किसी भी स्थिति में उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके परिवार उनकी मदद करने या उनका समर्थन करने के लिए नहीं होते हैं।
6. इससे पहले 29 मार्च 2018 को 2 साल यानि 29 मार्च 2020 के बाद उन्हें उनके गृहनगर में स्थानांतरित करने के लिए एक कानून जारी किया गया था, लेकिन यह अप्रभावित रहा। यह अन्याय है। मेरी बस यही मांग है कि इन आकांक्षी जिलों के शिक्षकों का तबादला किया जाए क्योंकि उन्होंने काफी कुछ झेला है !! कृपया हमारी समस्याओं को सुनें और हमारे परिवारों को एकजुट करें ताकि राज्य का प्रशासन और राज्य के बच्चों की शिक्षा और भी प्रभावी ढंग से हो सके !! यह राज्य के साथ-साथ मानवता के सर्वोत्तम हित में है।